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Tuesday, April 14, 2020

Babashaheb BhimRao Ambedkar भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार बाबासाहेब डाॅ0 भीमराव अंबेडकर बारे मे अनसुने तथ्य

बाबासाहेब डाॅ0 भीमराव अंबेडकर जी बारे मे अनसुने तथ्य-


बाबासाहेब डाॅ0 भीमराव अंबेडकर  बारे मे कई ऐसे भी तथ्य है जिनके बारे में शायद ही लोग जानते होगें। आइये बिन्दुवार जानते है उन विशेषताओं को-


  • कोलंबिया यूनिवर्सिटी के सर्वे में डॉ0 आंबेडकर को विश्व का नंबर वन स्कॉलर घोषित किया था।
  • डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर  पीने के पानी के लिए सत्याग्रह करनेवालो में  विश्व के प्रथम और एकमात्र सत्याग्रही थे।
  • डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर का वास्तविक सरनेम अंबावडेकर था। लेकिन उनके शिक्षक, महादेव अम्बेडकर, जो उन्हें बहुत मानते थे, ने स्कूल रिकार्ड्स में उनका नाम अंबावडेकर से अम्बेडकर कर दिया।
  • डॉ. अम्बेडकर ही एकमात्र भारतीय हैं जिनकी प्रतिमा लन्दन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है।
  • भारतीय तिरंगे में “अशोक चक्र” को जगह देने का श्रेय भी डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को जाता है।
  • अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीत चुके अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन, डॉ. बी. आर अम्बेडकर को अर्थशास्त्र में अपना पिता मानते हैं।
  • बाबासाहेब के निजी पुस्तकालय “राजगृह” में 50,000 से भी अधिक उनकी किताबें थी और यह विश्व का सबसे बडा निजी पुस्तकालय था।
  • कोलंबिया विश्वविद्यालय ने 2004 में विश्व के शीर्ष 100 विद्वानों की सूची बनाई थी और उसमे पहला नाम डॉ. भीमराव अम्बेडकर का था। डॉ. बाबासाहेब द्वारा लिखी गई पुस्तक waiting for a visa कोलंबिया विश्वविद्यालय में टेक्स्टबुक है। डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर कुल 64 विषयों में मास्टर थे वे हिन्दी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, मराठी, पर्शियन और गुजराती जैसे 9 भाषाओँ के जानकार थे इसके अलावा उन्होंने लगभग 21 साल तक विश्व के सभी धर्मों की तुलनात्मक रूप से पढाई की थी
  • डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर विदेश जाकर अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट (पीएच.डी.) की डिग्री हासिल करने वाले पहले भारतीय थे। प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री सेलिगमैन के मार्गदर्शन में अंबेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से 1917 में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। साथ ही उन्होनें ने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में 8 वर्ष में समाप्त होनेवाली पढाई केवल 2 वर्ष 3 महीने में पूरी की थी इसके लिए उन्होंने प्रतिदिन 21-21 घंटे पढ़ाई की थी
  • वे भारतीय संविधान की धारा 370, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता है, के खिलाफ थे। 
  • डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को सबसे पहले बुद्ध से संबंधित पुस्तक उनके स्कूल प्रधानाचार्य ने भेट की। उन्होने सर्वप्रथम बुद्ध की ऐसी पेंटिंग बनाई थी जिसमें बुद्ध की आंखे खुली  थी सामान्यः बुद्ध की बंद आंखो वाली प्रतिमाएं एवं पेंटिग्स दिखाई देती है। डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को बौद्ध धर्म की दीक्षा बौद्ध भिक्षु महंत वीर चंद्रमणी दी थी। बौद्ध भिक्षु महंत वीर चंद्रमणी ने उन्हें “इस युग का आधुनिक बुद्ध” कहा था। 1954 में काठमांडू में आयोजित “जागतिक बौद्ध धर्मपरिषद” में बौद्ध भिक्षुओं नें डॉ अम्बेडकर को बौद्ध धर्म की सर्वोच्च उपाधि “बोधीसत्त्व” प्रदान की थी। उनकी बौद्ध धर्म की प्रसिद्ध किताब “दि बुद्ध अण्ड हिज् धम्म” भारतीय बौद्धों का “धर्मग्रंथ” है। डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर का अपने 5 लाख समर्थको के साथ 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म में दीक्षा लेना विश्व में ऐतिहासिक था, क्योंकि यह विश्व का सबसे बडा धर्मांतरण था।
  • डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने भगवान बुद्ध, संत कबीर और महात्मा फुले इन तीनों महापुरूषों को अपना गुरू माना है।
  • लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से “डॉक्टर ऑल सायन्स” नामक अनमोल डॉक्टरेट पदवी प्राप्त करनेवाले बाबासाहेब विश्व के पहले और एकमात्र महापुरूष हैं। ब्रिटिश गवर्नर लॉर्ड लिनलिथगो और महात्मा गांधी का मानना था कि बाबासाहेब 500 स्नातकों तथा हजारों विद्वानों से भी अधिक बुद्धिमान हैं 
  •                                                      
  • ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए  The Makers of the Universe नामक जागतिक सर्वेक्षण के आधार पर पिछले 10 हजार वर्षो के शीर्ष 100 मानवतावादी विश्वमानवों की सूची बनाई गई थी जिसमें चैथा नाम डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर का था।

  • दुनिया में सबसे अधिक स्टेच्यु बाबासाहेब के ही हैं। बाबासाहेब का पहला स्टेच्यु उनके जीवित रहते हुए ही 1950 में कोल्हापूर शहर में बनवाया गया था। आज उनकी जयंती भी पूरे विश्व में मनाई जाती है


बाबासाहेब डाॅ0 भीमराव अंबेडकर 


मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में, रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई के घर में 14 अप्रैल 1891 को उनके 14वें व अंतिम संतान के रूप में जन्म हुआ था या कहे कि अवतार हुआ था एक आधुनिक महान आत्मा का, एक ऐसे बच्चे का जो आने वाले दिनों में अपनी बुद्धिमत्ता से पूरे विश्व में राज करने वाला था, जिसने आगे चलकर तत्कालीन सभी विधाओं में महारत हासिल की और दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के विधि एवं संविधान निर्माता बने, जिनका बचपन का नाम रामजी सकपाल था और आगे चलकर महान बाबासाहेब डाॅ0 भीवराव अंबेडकर बने। हम मे से अधिकतर 14 अप्रैल की तारीख देखकर ही समझ जाते है कि यह दिन संविधान निर्माता बाबासाहेब डाॅ0 भीमराव अंबेडकर का जन्म दिन के रूप मे जाना जाता है। भीमराव अंबेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था जिसे उस समय के सामाजिक भेदभाव के कारण अछूत और निचला वर्ग मानते थे। जिस कारण आगे चलकर डाॅ अंबेडकर ने इस भेदभाव के अनेक कदम भी उठाए, जो हमारे संविधान में भी दृष्टिगोचर होता है। डाॅ अंबेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्य करते थे और उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना की महू छावनी में सेवा में थे. भीमराव के पिता हमेशा ही अपने बच्चों की शिक्षा पर जोर देते थे। भीमराव अंबेडकर ने प्रारम्भिक शिक्षा दापोली और सतारा में हुआ। शुरू से ही अंबेडकर कुशाग्र बुद्धि के विद्यार्थी थे यही कारण था कि उस समय शिक्षा महंगी होने के चलते उनके आगे की शिक्षा में कोई रूकावट तक नहीं आयी क्योंकि बड़ौदा नरेश सयाजी राव गायकवाड ने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए उनके आगे की शिक्षा के लिए फेलोशिप प्रदान की ,बाद में उन्होने मैट्रिक की परीक्षा मुम्बई (बंबई) के एलफिंस्टोन स्कूल से 1907 में तथा स्नातक वर्ष 1912 ई0 में मुबंई विश्वविद्यालय से किया। स्नातक के बाद की पढ़ाई के लिए अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से 1915 मे एम.ए. और 1916 में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। एम.ए. करने के दौरान ही वह प्राचीन भारत का वाणिज्य लिख चुके थे किन्तु पीएच.डी शोध को विषय था ब्रिटिश भारत में प्रातीय वित्त का विकेन्द्रीकरण। जैसा कि भीमराव ने बचपन से ही सामाजिक असमानता का सामना किया था, सो वह मात्र पीएच.डी  से ही संतुष्ट होने वाले नही थे। उस समय मानो उनमें शिक्षा (ज्ञान) लेने की भूख जैसे लगी हो इसकी क्रम में फेलोशिप समाप्त होने के बाद उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स एण्ड पोलिटिकल सांइस सें एम.एससी. और डी. एस सी. और लॉ की उपाधि भी ली। इसके अलावा बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय ने एल.एलडी तथा डी. लिट्. की उपाधि उस्मानिया विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वैसे तो वे दलित प्रतिनिधित्व शुरूआती समय से ही करते आ रहे थे लेकिन पहली बार आधिकारिक तौर पर 1919 में लाॅ डिग्री की पढ़ाई के दौरान ही दलित प्रतिनिधित्व के पक्ष में सुझाव दिया। इस दौरान डॉ. अम्बेडकर ने लगभग 26 उपाधियां जैसे बीए, एमए, एमएससी, पीएचडी, बैरिस्टर, डीएससी, डी.लिट्. आदि लेकर युवाओं के लिये एक आदर्श उदाहरण पेश किया, जो आज भी एक तरह का अनूठा रिकाॅर्ड है। अपनी उच्च शिक्षा के दौरान ही उन्होनें बडौदा नरेश गायकवाड के दरबार में सैनिक अधिकारी तथा वित्तीय सलाहकार के रूप में भी अपनी सेवा दी। डा0 भीमराव अंबेडकर को 1935 में मुंबई के गव्हर्नमेंट लॉ कॉलेज के अध्यापक के रूप में चुना गया। 
1948 से वह मधुमेह से पीड़ित थे, और अंत में 6 दिसंबर 1956 को अंबेडकर जी की मृत्यु हो गई।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। 


आर्थिक क्षेत्र मे योगदान


उन्होंने भारत के विकास हेतु मजबूत तकनीकी संगठन का नेटवर्क ढांचा प्रस्तुत किया। वर्ष 1945 में उन्होंने ही बहुउद्देशीय आर्थिक नीतियां जिसमे आधुनिक जल विद्युत आदि आते है बनाने का प्रस्ताव दिया था। भारत मे एक केद्रीय बैंक के उद्देश्य से जब हिल्टन यंग आयोग गठित किया गया तो उस आयोग ने भी डाॅ. अंबेडकर द्वारा आर्थिक विषयों पर पुस्तकों को ही आधार आधार बनाया, और 1935 भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की स्थापना हुई तथा उन्हीं के शोध ग्रंथ ब्रिटिश भारत में प्रातीय वित्त का विकेन्द्रीकरण के आधार पर देश में वित्त आयोग की स्थापना हुई।



संविधान व सामाजिक योगदान

कोई भी ऐसा क्षेत्र नही है जो कि बाबा साहेब से अछूता रहा हो। काग्रेंस से मतभेद होने के बाद सत्ता में भागीदारी के लिए वर्ष 1936 स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया, जिसनेे 1937 में मुम्बई प्रेसिडेंसी चुनाव में 17 में से 15 सीटें जीतीं।
डॉ. अम्बेडकर, वायसराय की कार्यकारी कौंसिल में वर्ष 1942-1946 के बीच श्रम मंत्री के रूप मे रहते हुए श्रमिकों के हितो में कई क्रांतिकारी निर्णय लिए- जैसे समान कार्य समान वेतन, कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआई), प्रसूति अवकाश, संवैतनिक अवकाश, श्रमिकों की कार्यावधि 12 घण्टे से घटाकर 8 घण्टे, दैनिक भत्ता, स्वास्थ्य सुरक्षा, भविष्य निधि, कर्मचारी भविष्य निधि जो बाद मे अधिनियम 1952 बना आदि के साथ ही वर्ष 1946 मे उन्होने भारतीय श्रम सम्मेलन की शुरूआत की जो अभी निरंतर जारी है।
संविधान सभा की बैठक के बाद जब संविधान बनाने की कवायद शुरू हुई तो प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में डाॅ0 अंबेडकर ने अपने अन्य 6 सदस्यों के साथ संविधान लिखना शुरू किया। उन्होनें समता, समानता एवं बन्धुता को प्रमुखता देते हुए भारतीय संविधान को 02 वर्ष 11 महीने और 18 दिन के कठिन परिश्रम से दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया। 
वर्ष 1951 में महिला सशक्तिकरण का हिन्दू संहिता विधेयक पारित करवाने में प्रयास किया और पारित न होने पर स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया। वर्ष 1955 में अपना ग्रंथ भाषाई राज्यों पर विचार प्रकाशित कर आन्ध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को छोटे-छोटे और प्रबंधन योग्य राज्यों में पुनर्गठित करने का प्रस्ताव दिया था, जो उसके 45 वर्षों बाद कुछ प्रदशों में साकार हुआ।

डॉ0 भीमराव अम्बेडकर को नए भारत निर्माण में उनके अनगिनत योगदानों को याद किया जाता है। खासकर भारतीय संविधान के निर्माता, वंचितों दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को सम्मानीय जीवन देने के लिए तो हमेशा याद किया जायेगा। 
भीमराव अम्बेडकर तीनों गोलमेज सम्मलेन में भाग लेने वाले गैर कांग्रेसी नेता थे. भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं


प्रमुख पुरस्कार


पुरस्कार सम्मान बोधिसत्व- (1956) भारत रत्न (1990)
पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम (2004), द ग्रेटेस्ट इंडियन (2012)


राजनीतिक दल  

शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन, स्वतंत्र लेबर पार्टी, भारतीय रिपब्लिकन पार्टी


सामाजिक संगठन  

बहिष्कृत हितकारिणी सभा, 
समता सैनिक दल
डा0 भीम राव अंबेडकर ने 1927 में ‘बहिष्कृत भारत’ नामका पाक्षिक शुरु किया
डा0 भीम राव अंबेडकर ने 1946 में ‘पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी’ की स्थापना की


डाॅ0 भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित प्रमुख पुस्तके-

भारतीय संविधान के पिता कहे जाने वाले डाॅ0 भीमराव अंबेडकर जी एक राजनीतिज्ञ अर्थशास्त्री और सामाजिक सुधारक के साथ कई भाषाओं के लेखन के तौर पर भी प्रमुख योगदान दिया है।
कास्ट इन इंडियाः देयर मैकेनिज्म, जेनेसिस एंड डेवलपमेंट (1920)
मूक नायक (साप्ताहिक पत्रिका) -1920 से
द प्राॅब्लम आॅफ द रूपयाः इट्स ओरिजिन एंड इट्स सोल्यूशन 1923 -इसी पुस्तक की रिपोर्ट के आधार पर हिल्टन यंग आयोग ने आरबीआई की स्थापना मे मदद मिली।
बहिष्कृत् भारत 1927
जनता (साप्ताहिक पत्रिका) -1930 से
द एन्नीहिलासन आॅफ कास्ट-1936
फेडरेशन वर्सेस फ्रीडम- 1939
रानाडे, गाँधी एंड जिन्नाह-1943
मिस्टर गाँधी एंड इमेनशिपेशन आॅफ अन्तौचब्लेस-1943
हू वर द शुद्रास- 1948
द अन्तौचब्लेस-1948
बुध्द अॅड हिज धम्म-1957
थॉटस ऑन पाकिस्तान- 1940

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