शतरंज का इतिहास व शतरंज में भारत की मौजूदा स्थिति Evolution of Chess Or History Of Chess. Who is Father of Chess Game
Evolution of chess from Chaturanga to Modern
शतरंज से जुडी कुछ रोचक खबरें-
- शतरंज में पहली चाल व्हाइट पीस द्वारा कब से और क्यो चलने की प्रथा हुई। इस पर मैने बहुत विस्तार से पडा मगर इसका सीधा उत्तर नहीं मिल सका। इसके पिछे एक कहानी यह भी है कि प्राचीनकाल मे जब यह खेल शुरू हुआ तो माना जाता था कि काला रंग भाग्य या किस्मत का प्रतीक होता है। इसलिए सफेद पीसेस वाले खिलाडी को पहले मूव चलने के लिए कहा जाता था। पता नही इसमे कितनी सच्चाई है लेकिन हां पहली बार 19वीं शताब्दी के मध्य मे इस प्रथा का आगाज जरूर हुआ था, हालांकि उस समय यह नियम सफल नही हो सका। सर्वप्रथम एक अमेरिकी शतरंज खिलाडी ने काग्रेस मे 1857 मे सिफारिश की कि व्हाइट पीस वाला खिलाडी को पहली मूव करनी चाहिए। उस समय से ज्यादा समय तक लागू नहीं किया जा सका। वर्ष 1889 में, महान शतरंज खिलाडी व आधुनिक शतरंज के फादर स्टीनिट्ज कुछ ऐसे ही नियम की घोषणा की तथा वर्ष 1927 से मैनुअल ऑफ चेस जो कि वर्ष 1925 में जर्मन शतरंज खिलाडी इमैन्यूल लास्कर ने लिखी थी से ही इसकी परंपरागत शुरूआत मानी जाती है। अतः 1927 से व्हाइट पीस वाला खिलाडी पहली चाल चलने की शुरूआत हुई थी।
- शतरंज के इतिहास मे मूववाइज सबसे लंबा गेम वर्ष 1989 में निकोलिक और आर्सोविक के बीच खेला गया था। यह गेम 269 मूव तक चला। और अंततः ड्रा रहा।
- वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार यूनिवर्स में जितने इलेक्ट्रॉन पार्टिकल हैं, उनसे लगभग 10 गुना ज्यादा शतरंज के खेल में मूव की संभावनाएं होती हैं।
- ब्रिटेन के शतरंज खिलाडी स्टुअर्ट मिलनरबेरी व अन्य कई शतरंज खिलाडीयों ने द्वितीय विश्व युद्व मे भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इस खिलाडियों को इनके देश की सरकारों ने दुश्मन देश के संदेशों को डिक्रिप्ट करने हेतु चुना था तथा इन्होने कोड ब्रेकर के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- दुनिया में अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित पहली किताब ट्रोजन वार पर व दूसरी किताब शतरंज पर आधारित थी।
- इस खेल में अधिकतम चाले चलने की प्रोबेबिलिटी 5949 है और शुरू के दो-दो चालों चलने के बाद अधिकतम 3 बिलियन प्रकार (320,979,564,000 प्रकार) से चला जा सकता है।
- आधुनिक शतरंज बोर्ड का निर्माण 1090 ई0 मे यूरोप में हुआ था। एलन ट्यूरिंग ने वर्ष 1951 में चेस खेलने के लिए एक विशेष कम्प्यूटर बनाया था। तथा वर्ष 1988 में अमेरिका के कैलिफाॅर्निया शहर में पहली बार किसी कम्प्यूटर ने शतरंज ग्रेडमास्टर को हराया था।
- शतरंज का एक अनेखा रिकार्ड यह भी है कि इस खेल में वर्ष 1984 मे ब्रिटेन के खिलाडी क्राउच को एक ही मैच मे 43 बार चेक दिया गया, जो कि अपने आप में वल्र्ड रिकाॅर्ड है।
- एरिन नोपार्ट ने वर्ष 1985 में 68 घंटे में 10-10 मिनट के रिकाॅर्ड 500 मैच खेले थे।
- सितम्बर 2008 शतरंज के इतिहास में एक विशेष दिन था जिस दिन पहली बार शतरंज अंतरिक्ष और पृथ्वी मे एक साथ खेला जा रहा था। कही-कही पर यह डेट 9 जून 1970 मिलती है जो कि शायद गलत है क्योकि नासा के आॅफिशियल वेबसाइट मे यह डेट सितम्बर 2008 की है। वह मैच नासा के वैज्ञानिको एवं अमेरिका के शतरंज खिलाडियों के बीच खेला गया था। जिसमे वैज्ञानिक अंतरिक्ष से यह मैच खेल रहे थे।
- वर्ष 2016 तक लगभग 70 करोड लोग शतरंज खेलना जानते है जोकि विश्व मे किसी अन्य खेल से बहुत ज्यादा है।
- दुनिया का सबसे कम उम्र का वल्र्ड चैम्पियन रूस के गैरी कास्परोव है जो वर्ष 1985 में 22 वर्ष 240 दिन में विश्व चैम्पियन बने थे। दूसरे नम्बर पर वर्तमान वल्र्ड चैम्पियन नार्वे के मैग्नस कार्लसन (23 वर्ष) है। इसके साथ ही मैग्नस कार्लसन अभी तक शतरंज इतिहास में सर्वाधिक रेटिंग वाले खिलाडी भी है जिनकी पीक रेटिंग 2881 रही थी। इसके अलावा जर्मनी के इमैन्यूल लास्कर सबसे लंबे समय तक वल्र्ड चैश चैम्पियन रहने का रिकाॅर्ड है, जो लगभग 27 वर्ष (26 साल और 337 दिन) तक वल्र्ड चैश चैम्पियन बने रहे।
शतरंज का इतिहास
इस बात के काफी प्रमाण है कि इस खेल का आविष्कार मूलतः भारत मे ही हुआ है, गुप्त काल के साहित्य व कला में भी इसका वर्णन व चित्रण किया गया है। मगर आज के इस दौर मे हर कोई देश अपने को महान संभ्यता की भूमि शाबित करने मे लगा है वह दिखाना चाहता है कि उनकी सभ्यता की जडे कितनी पूरानी व महत्वपूर्ण है कि हम आज भी उसी का अनुसरण कर रहे है। ऐसे मे इस बात के पुख्ता प्रमाण होने के बावजूद भी इसके जन्म स्थान को लेकर भ्रमित किया जाता रहा है, कई प्रकार के तथ्य प्रस्तुत किये जाते रहे है। कि यह खेल उनके देशो से होकर ही भारत व फिर यूरोपिय देशों मे पहुचा है इस लिस्ट मे चीन, अरब के कई देश व अमेरिका शामिल है जो कि इस खेल को पर अपने अधिकार का दावा कर रहे है।
भारत मे तो इसके प्रमाण 6ठी शताब्दी से शुरू हुआ था, फिर इसके बाद यह अरब और वहा फिर यूरोप गया और अंत में 15वी-16वी सदी मे लगभग 1475 ई0 मे इसका आधुनिकरण हुआ और यह अपने वर्तमान रूप में पूरी दुनिया फैल गया। हां इतना जरूर है कि यूरोप का इसका आधुनिकरण करने के बाद इस खेल को लोकप्रिय बनाने मे अहम रोल रहा है। इस खेल की हर चाल को लिखा जाने लगा और यह खेल कैसे खेला जाता है इसका विश्लेषण किया गया। कुछ लोग मानते है कि शतरंज का खेल पर्शिया से शुरू हुआ था।
आधुनिक शतरंज की मुख्य संस्था फिडे है जिसकी स्थापना 20 जुलाई 1924 में पेरिस फ्रांस में हुई थी। इसकी मुख्यालय लुसान स्विट्जरलैंड में है। विल्हेम स्टीनिट्ज को आधुनिक शतरंज के जनक के रूप में जाना जाता है।
चतुरंगा और शतरंज
शतरंज दो अपोनेंट के बीच में खेला जाता हैं। हर खिलाडी के पास 16 पीस होती हैं। जबकि परन्तु चतुरंगा का खेल चार लोगो के बीच में खेला जाता था। और हर खिलाडी के पास 8 पीस होती थी। अतः इसमे दो-दो खिलाडी मिलकर एक टीम के रूप मे खेलत थे और साइडवाइज अटैक होता था। यह खेल आधुनिक शतरंज से इस बात से अलग था कि यह खेल पासों से खेला जाता था।
चतुरंगा जो कि डाइस से खेले जाने वाला खेल था, को एक रोचक खेलो में गिना जाता है, जिसमें डाइस मे आये अंको के हिसाब से पीसो को मूव किया जाता था, जैसे 1 आने पर पाॅन (सिपाही), 2 पर विशप (ऊट), 3 पर घोडा, 4 आने पर हाथी और 6 आने पर राजा या फिर सिपाही को बढाना होता था।
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शतरंज और भारत
प्राचीन काल में भारत मे शतरंज की उत्पत्ति के संबंध में सर्वप्रथम पता लगभग 6ठी शताब्दी में लगा था। हालांकि इससे पूर्व भी महाभारत काल में शतरंज के बारे मे लिखित वर्णन मिलता है, उस समय इस खेल को चतुरंगी कहा जाता था। जो कि राज परिवार के सदस्यों का खेल था। दुनिया भर के विद्धान मानते है कि इस खेल की शुरूआत भारत से ही हुई थी। इसके यूरोप के कई इतिहासकारों के अलावा अरब के महान इतिहासकार, जिन्हे अरब का हेरोडोटस कहा जाता है अबू अल-हसन अली अल-मसुदी ने शोध कर कहा कि, शतरंज भारत के राजाओं द्वारा खेला जाने वाला एक प्रमुख खेल था, जो कि एक उपकरण के रूप में युद्ध रणनीति गणित व अन्य विधाओं में इस्तेमाल किया जाता था।
आधुनिक काल में यह 19वीं शताब्दी के शुरू के ही भारत में फिर नए रूप में खेला जाने लगा। जैसा कि प्राचीन से ही खेल राजपरिवारो में ही खेला जाने वाला खेल था। अतः ब्रिटिश भारत में भी इसका विस्तार मात्र रियासतों व उनके राजकुमारों तक ही था। भारत में यह खेल पंजाब के मीर सुल्तान खान के साथ शुरू हुआ था, जिन्होंन उस समय के महान खिलाडियों कापाब्लांका और टार्टकोवर तक को हरा दिया था। सुल्तान खान ने शतरंज ओलंपियाड मे तीन बार ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व किया था, साथ ही 1929, 1932 और 1933 में ब्रिटिश शतरंज चैंपियनशिप जीती जो कि उस समय का विश्व चैम्पियशिप था। स्वतुत्रता के बाद शतरंज को बढावा देने व खेल के संचालन के लिए अखिल भारतीय शतरंज संघ की स्थापना 1951, जिसका मुख्यालय चेन्नई में है। एआईसीएफ ने वर्ष 1955 में स्वतन्त्र भारत की पहली पहली आधिकारिक राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप आंध्र प्रदेश के एलुरु में आयोजित करायी जिस रामचंद्र एस. डी. वेंकय्या ने जीती थी। यह प्रतियोगिता, जो वर्ष 1955 के शुरू हुई थी हर दो साल मे आयोजिक करायी जाती थी, लेकिन वर्ष 1971 से यह प्रतिवर्ष आयोजित करायी जाने लगी है। इसी के साथ ही वर्ष 1974 मे पहली बार महिला राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप भी आयोजित करायी जाने लगी है जो कि 1974 मे पहली बार बैग्लूरू में आयोजित हुई और वसती खडिलकर पहली महिला राष्ट्रीय शतरंज चैम्पियन बनी। भारतीय शतरंज में सर्वाधिक बार राष्ट्रीय चैम्पियन मैनुअल एरोन 9 बार व प्रवीन थिप्से 7 बार रहे है। भारतीय शतरंज में क्रांति लाने का श्रेय महान खिलाडी विश्वनाथन आनंद को जाता है, जो कि वर्ष 1988 में भारत के पहले शतरंज ग्रांड मास्टर बने और वर्ष 1992 का पहला राजीव गाधी खेल रत्न पुरस्कार से भी नवाजे गये थे। वह भारत की ओर से एकमात्र विश्व चैम्पियनशिप खिताब जितने वाले खिलाडी भी है जिन्होने वर्ष 2000, 2007,2008,2010 व 2012 में 5 बार विश्व चैम्पियनशिप का खिताब अपने नाम किया। अभी वर्तमान में भारत 95542 रजिस्टर्ड प्लेयर, 33027 फिडे रेटेड प्लेयर, 120 इंटरनेशनल मास्टर, 10 महिला ग्रांड मास्टर और 65 ग्राड मास्टर के साथ ही दुनिया के कुछ यंग टेलेटों की लाइन मे सबसे आगे है। वर्तमान में एआईसीएफ इस खेल को एक नये मुकाम देने की कोशिश में कई विश्व स्तरीय टुर्नामेट का आयोजन करवा रही है।
उत्तराखंड के शतरंज प्लेयर की लिस्ट व रेटिंग के बारे में यहा पढ़े
शतरंज के फायदे-
शतरंज इंसान को अनुशासन व प्लानिंग सीखता है। यह खेल धैर्य का खेल है जो कि सही समय पर सही फैसले लेने की क्षमता का विकास करता है। शतरंज गहराई से सोचने और कुछ नया करने की प्रवृत्ति को बढ़ाता (क्रिएटिविटी) है। इमेजिनेशन यानी कल्पना का विकास मे सहायक होता है, जो भविष्य के बारे में सोचने की क्षमता को बढ़ाता है। चेस खेलने से गणित और विज्ञान विषयों पर अच्छी पकड़ बनती है। यहां तक कि यह बीमारी से लडने में भी सहायक है। इस बारे में साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि शतरंज दिमागी खेल है जो दिमान की एक्रागता को बढाता है और दिमाग को तेज करता है जिस कारण यह एल्जाइमर जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में मदद करता है।
भारत के वर्तमान टाॅप 10 खिलाडी ( सीनियर वर्ग)
भारत में आज शतरंज की जब भी बात की जाती है हर किसी के जुबा पर एक ही नाम आता है महान विश्वनाथन आनंद। हम सभी विश्वनाथन आनंद जिन्हे कि शतरंज के फिल्ड में वान्डर ब्वाय के नाम से जाना जाता है के नाम के अलावा काफी कम खिलाडीयों को जानते है या फिर वही जानते है जो लोग किसी परीक्षा की तैयार मे लगे है। आइए देखते है भारत के वर्तमान टाॅप 10 शतरंज खिलाडियों को जो इस प्रकार है।Top ten Chess Player Of India As on May'2020 |
Graph of Top ten Chess Player Of India As on May'2020 |
भारत के वर्तमान टाॅप 10 खिलाडी ( जूनियर वर्ग)
भारत के टाॅप 10 शतरंज खिलाडियों के अलावा मै यहा भारत के वर्तमान टाॅप 10 जूनियर खिलाडियों की लिस्ट भी दे रहा हूँ, इसके कई कारण है उनमें से एक कि हमारे प्रदेश उत्तराखंड के शतरंज खिलाडी सक्षम रौतेला, जो अभी हाल में ही इंटरनेशनल मास्टर बने है और 2480 रेटिंग के साथ इस लिस्ट में 8वें स्थान पर है, दूसरा कारण है कि जूनियर लेवल पर हमारे पास कई ऐसे प्रतिभावान खिलाडियों कि लिस्ट है जो आगे चलकर विश्व चैम्पियन में भारत की दावेदारी पेश कर सकते है या फिर जीत के दावेदार हो सकते है।Top ten Junior U-19 Chess Player Of India As on May'2020 |
Graph of Top ten Junior U-19 Chess Player Of India As on May'2020 |
दोस्तो आशा करता हूँ इससे आप लोगो को हमारे शतरंज खिलाडियों को जानने व शतरंज से जुडे कुछ रोचक तथ्य को जानकर अच्छा लगा होगा। इन खिलाडियों के बारे में डिटेल में जानने के लिए आप कमेंट कर सकते है मै इस पर अगला लेख लिखने के लिए आप लोगो की इच्छा या कमेंट का इंतजार करूगां साथ ही आशा करता हूँ कि किसी लाइन या शब्द में अगर कही पर मिसप्रिंस हुआ है तो समझने में आपलोगो को ज्यादा परेशानी नही हुई होगी।
धन्यवाद, नमस्कार
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