कोरोना का असर CoViD-19 Or 2019nCoV
दुनिया में आजकल एक नाम ने हाहाकार मचाया हुआ है, जिसका नाम है कोरोना। जिसका कारण है कि इस वायरस ने पहले तीन महीनो में ही हजारों लोगो की जान ले ली और लाखों लोगों को अपने चपेट मे ले लिया है जिस रफ्तार से इस वायरस को संक्रमण फैल रहा हैं उससे आने वाले दिनो में भय का माहौल बना दिया है और दुनिया को आर्थिक मंदी की ओर धकेल दिया है। जानते है क्यो इस वायरस को नाम कोरोना पड़ा और क्या है कोरोना। आजकल सोशल मीडिया पर कोरोना के कुछ वैक्सीन व दवाओ का खुब प्रसार हो रहा है दावा कर रहे है कि कोरोना जो कि कोविड-02 या अन्य कोरोना वायरस है के दवाओं का इस्तेमाल करें।
क्यों इस प्रकार के वायरस को कोरोना नाम दिया गया?
नया वायरस एक प्रकार का कोरोनावायरस है। इस वायरस का जो चित्र वैज्ञानिको ने सामने रखा उस पर किसी बाॅल जैसी आकृत के बाहर चारो ओर Spikes स्पाइक (कील) जैसी, Crown क्राउन (मुकुट) की आकृति नजर आ रही है जिस कारण इसका नाम कोरोना पड़ा। क्योंकि कोरोना एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है क्राउन (मुकुट)। अमेरिका की एजेंसी, सेंटर फाॅर डीजिज कंट्रोल और प्रिवेंशन CDC (सीडीसी) के अनुसार, कोरोनावायरस समूह मे शामिल कुल सात कोरोनावायरस अभी तक पहचाने गये है। जिसमें हाल में फैले इस वायरस को इसकी सतह पर मुकुट जैसी स्पाइक्स होने से इसको कोरोनावायरस श्रेणी में शामिल किया गया है। कोरोनावायरस, के संक्रमण से मुख्यतः -नाक बहना, खांसी, गले में खराश और बुखार सहित कई लक्षणों हो सकते है। कुछ हल्के लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे कि सामान्य सर्दी, जुकाम आदि जबकि अन्य में निमोनिया तक होने की संभावना अधिक होती है। यह किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता हैं। अन्य प्रसिद्ध कोरोनावायरस है-सार्स, मैर्स।
जो वायरस आजकल पूरे विश्व में संक्रमण फैला रहा है जिसे सीओवीआईडी -19 नाम से जाना जा रहा है जिसे यह नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिया जबकि वैज्ञानिको द्वारा इसका नाम 2019 एनसीओवी रखा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाया नाम का पूर्ण रूप सीओवीआईडी -19 (CoViD-19),Co सीओ-कोरोना, वीआई-वायरस, डी- डीजिज और -19 जिस वर्ष यह रोग का संक्रमण फैला और जांचा गया।
वैज्ञानिकों द्वारा सुझाया नाम 2019 एनसीओवी( 2019 nCoV), 2019 जिस वर्ष यह रोग का संक्रमण फैला और जांचा गया, एन- नोवेल, सीओ0- कोरोना, वी-वायरस।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसे कोविड-19 नाम दिया गया। यह नाम देने की बारे में उन्होनें कहा कि हम इस बात का ध्यान रख रहे है कि नाम ऐसा रखा जाय जिससे कोई कलंकित न हो। जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे चीनी वायरस रखा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा कई देश भी इसे चीनी वायरस या फिर वुहान वायरस से नाम रखने का सुझाव दे रहे है क्योंकि इस वायरस की शुरूआत चीनी शहर वुहान से ही हुई थी। अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन की बात को मान लिया जाय कि इसका नाम किसी क्षेत्र विशेष के नाम से रखने से उस क्षेत्र को नाम खराब होगा तो क्या वह पिछलें वर्षों में रखे गये अन्य वायरस को नाम भी जो कि क्षेत्र विशेष के नाम से रखे गये है उन्हे दूसरा नाम सुझायेगा?जैसे नाइल वायरस, जापनिज वायरस, इबोलावायरस आदि।
लक्षण क्या हैं?
सामान्यतः देखने में इसके लक्षणों में बुखार, खांसी और सांस की तकलीफ आदि शामिल है। हालांकि, बीमारी से शरीर में दर्द, गले में खराश, उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। 85 प्रतिशत मामलों में संक्रमित व्यक्तियों इसके हल्के लक्षण दिखाई देते हैं और शायद उन्हें पता भी नहीं होता कि वे संक्रमित हैं। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि इसे गंभीरता से नही लिया गया तो यह, निमोनिया, किडनी फेल (गुर्दे खराब होना) और मौत का कारण बन सकता है।
सबसे ज्यादा जोखिम किसे है?
अब तक के आंकडों से जाहिर होता है कि इसका सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों विशेष रूप से 70 वर्ष से अधिक आयु के लोग है उनमें से भी वे लोग जो कुछ बीमारियों, जैसे कि हृदय रोग, मधुमेह या फेफड़ों के रोगों से ग्रसित हो उनमें इसके फैलने व नुकसान पहुचाने की संभावना अधिक हैं।
यही कारण है कि विश्व के अधिकांश देशों ने हाल ही में बीमारी को फैलने से रोकने के लिए नर्सिंग होम, यातायात तथा अन्य सामाजिक कार्य को सीमित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
कोरोनोवायरस कैसे फैलता है?
कोरोनोवायरस संक्रमित व्यक्ति से लगभग 5 फीट की दूरी से खांसने या छींकने से फैलता है। यह संक्रमित व्यक्तियों से छुने से या फिर किसी ऐसी सतह को छुने से जो संक्रमिण व्यक्तियों माध्यम से संक्रमित हुई हो, फैल सकता है, हालांकि यह अज्ञात है कि नया कोरोनोवायरस शरीर के बाहर सतहों पर कब तक जीवित रह सकता है, फिर भी कुछ वैज्ञानिको का मानना है कि बाहरी सतह पर लगभग 5-6 घंटों के तक इसका प्रभाव रह सकता है। जबकि कुछ कोरोना वायरस ऐसे भी मिले है जो कठोर सतहों पर कई घंटों से दिनों तक जीवित रह सकते हैं।
किसी को बीमार होने में कितना समय लगता है?
नए कोरोनोवायरस के इनक्यूवेशन अवधि - जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को वायरस से संक्रमित होने के लक्षण दिखने में जो समय लगता है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस वायरस का इनक्यूवेशन अवधि दो से 14 दिनों तक कहीं भी दिखाई दे सकता है, हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुरू में इसका इनक्यूवेशन अवधि 5 दिन माना था।
मैं हाथ धोने के अलावा और क्या कर सकते है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साबुन के बजाय हैंड सैनिटाइजर एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसमें कम से कम 60 प्रतिशत अल्कोहल होना चाहिए। बता दे कि हैंड सैनिटाइजर में 60-85 प्रतिशत अल्कोहल होता है जो कि मुख्यतः प्रोपेनाॅल होता है जो आइसोप्रोपिन अल्कोहल व इथेनाॅल का काॅम्बिनेशन होता है ना कि सिर्फ इथेनाॅल।
किस तरह से फेस मास्क आपको कोरोनावायरस से बचाता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि स्वस्थ लोग फेस मास्क पहनने की कोई जरूरत नही हैं। बल्कि, उनका सुझाव है कि कोरोनोवायरस वाले रोगी अपने चारों ओर दूसरों की रक्षा करने के लिए एक फेस मास्क पहने, या, यदि रोगी से आप कमरा शेयर कर रहे है जिसने मास्क नहीं पहना है, तो दूसरों को चाहिए कि वे उस दशा में मास्क पहने।
क्या सतह साफ करने में कीटाणुनाशक का इस्तेमाल भी किया जा सकता है
हा कीटाणुनाशक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लिखा है कि आप किटाणुनाशक का इस्तेमाल किसी भी जगह संक्रमित रोगी के संपर्क में आने वाले सतहों को साफ करने में किया जा सकता हैं, जैसे कि काउंटरर्स, टेबलटॉप, बाथरूम, शौचालय, फोन, कीबोर्ड, टैबलेट और टेबल आदि। उन्होने आगे स्पष्ट किया है कि इसमें घरेलू कीटाणुनाशकों को शामिल कर एक होममेड संस्करण बनाया जा सकता है, जिसके लिए चार चम्मच ब्लीच का एक एक लीटर पानी के घोल का उपयोग किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब आप सैनिटाइजर का छिड़काव करते हैं या सैनिटाइजिंग वाइप्स का इस्तेमाल करते हैं, तो घोल को पोंछने की बजाय सतह पर सूखने देना जरूरी है।
क्या चीन से आयात हुई वस्तुओ में भी हो सकता है कोरोना
इसकी संभावन बहुत कम है क्योंकि विश्व स्वास्थय संस्था ने कहा है। कोरोनावायरस आमतौर पर सतहों पर बहुत लंबे समय तक नहीं रहता हैं, जहा तक सामान या आयातीत वस्तुओं की बात हो तो उसे एक देश से दूसरे देश तक पहुचने में दिनों या हफ्तों लग जाते है वैसे भी अगर हमारे देश में कोई भी आयातीत वस्तु चीन से आयी होगी तो वो भी दो महीने पहले आयी होगी। इस प्रकार इसकी संभावना ना के बराबर है कि चीन से आयातित वस्तुओं का इस्तेमाल करने से वायरस के चपेट में आ सकते है
आज की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है भारत ने बहुत हद तक कोरोना संक्रमण को फैलने पर अंकुश लगाया है जो कि इस ग्राफ से भी समझा जा सकता है।
Novel Corona Virus( 2019-nCoV Or CoViD-19 |
क्यों इस प्रकार के वायरस को कोरोना नाम दिया गया?
नया वायरस एक प्रकार का कोरोनावायरस है। इस वायरस का जो चित्र वैज्ञानिको ने सामने रखा उस पर किसी बाॅल जैसी आकृत के बाहर चारो ओर Spikes स्पाइक (कील) जैसी, Crown क्राउन (मुकुट) की आकृति नजर आ रही है जिस कारण इसका नाम कोरोना पड़ा। क्योंकि कोरोना एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है क्राउन (मुकुट)। अमेरिका की एजेंसी, सेंटर फाॅर डीजिज कंट्रोल और प्रिवेंशन CDC (सीडीसी) के अनुसार, कोरोनावायरस समूह मे शामिल कुल सात कोरोनावायरस अभी तक पहचाने गये है। जिसमें हाल में फैले इस वायरस को इसकी सतह पर मुकुट जैसी स्पाइक्स होने से इसको कोरोनावायरस श्रेणी में शामिल किया गया है। कोरोनावायरस, के संक्रमण से मुख्यतः -नाक बहना, खांसी, गले में खराश और बुखार सहित कई लक्षणों हो सकते है। कुछ हल्के लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे कि सामान्य सर्दी, जुकाम आदि जबकि अन्य में निमोनिया तक होने की संभावना अधिक होती है। यह किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता हैं। अन्य प्रसिद्ध कोरोनावायरस है-सार्स, मैर्स।
जो वायरस आजकल पूरे विश्व में संक्रमण फैला रहा है जिसे सीओवीआईडी -19 नाम से जाना जा रहा है जिसे यह नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिया जबकि वैज्ञानिको द्वारा इसका नाम 2019 एनसीओवी रखा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाया नाम का पूर्ण रूप सीओवीआईडी -19 (CoViD-19),Co सीओ-कोरोना, वीआई-वायरस, डी- डीजिज और -19 जिस वर्ष यह रोग का संक्रमण फैला और जांचा गया।
वैज्ञानिकों द्वारा सुझाया नाम 2019 एनसीओवी( 2019 nCoV), 2019 जिस वर्ष यह रोग का संक्रमण फैला और जांचा गया, एन- नोवेल, सीओ0- कोरोना, वी-वायरस।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसे कोविड-19 नाम दिया गया। यह नाम देने की बारे में उन्होनें कहा कि हम इस बात का ध्यान रख रहे है कि नाम ऐसा रखा जाय जिससे कोई कलंकित न हो। जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे चीनी वायरस रखा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा कई देश भी इसे चीनी वायरस या फिर वुहान वायरस से नाम रखने का सुझाव दे रहे है क्योंकि इस वायरस की शुरूआत चीनी शहर वुहान से ही हुई थी। अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन की बात को मान लिया जाय कि इसका नाम किसी क्षेत्र विशेष के नाम से रखने से उस क्षेत्र को नाम खराब होगा तो क्या वह पिछलें वर्षों में रखे गये अन्य वायरस को नाम भी जो कि क्षेत्र विशेष के नाम से रखे गये है उन्हे दूसरा नाम सुझायेगा?जैसे नाइल वायरस, जापनिज वायरस, इबोलावायरस आदि।
लक्षण क्या हैं?
Symptoms Of Coronavirus |
सबसे ज्यादा जोखिम किसे है?
अब तक के आंकडों से जाहिर होता है कि इसका सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों विशेष रूप से 70 वर्ष से अधिक आयु के लोग है उनमें से भी वे लोग जो कुछ बीमारियों, जैसे कि हृदय रोग, मधुमेह या फेफड़ों के रोगों से ग्रसित हो उनमें इसके फैलने व नुकसान पहुचाने की संभावना अधिक हैं।
यही कारण है कि विश्व के अधिकांश देशों ने हाल ही में बीमारी को फैलने से रोकने के लिए नर्सिंग होम, यातायात तथा अन्य सामाजिक कार्य को सीमित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
कोरोनोवायरस कैसे फैलता है?
कोरोनोवायरस संक्रमित व्यक्ति से लगभग 5 फीट की दूरी से खांसने या छींकने से फैलता है। यह संक्रमित व्यक्तियों से छुने से या फिर किसी ऐसी सतह को छुने से जो संक्रमिण व्यक्तियों माध्यम से संक्रमित हुई हो, फैल सकता है, हालांकि यह अज्ञात है कि नया कोरोनोवायरस शरीर के बाहर सतहों पर कब तक जीवित रह सकता है, फिर भी कुछ वैज्ञानिको का मानना है कि बाहरी सतह पर लगभग 5-6 घंटों के तक इसका प्रभाव रह सकता है। जबकि कुछ कोरोना वायरस ऐसे भी मिले है जो कठोर सतहों पर कई घंटों से दिनों तक जीवित रह सकते हैं।
किसी को बीमार होने में कितना समय लगता है?
नए कोरोनोवायरस के इनक्यूवेशन अवधि - जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को वायरस से संक्रमित होने के लक्षण दिखने में जो समय लगता है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस वायरस का इनक्यूवेशन अवधि दो से 14 दिनों तक कहीं भी दिखाई दे सकता है, हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुरू में इसका इनक्यूवेशन अवधि 5 दिन माना था।
मैं हाथ धोने के अलावा और क्या कर सकते है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साबुन के बजाय हैंड सैनिटाइजर एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसमें कम से कम 60 प्रतिशत अल्कोहल होना चाहिए। बता दे कि हैंड सैनिटाइजर में 60-85 प्रतिशत अल्कोहल होता है जो कि मुख्यतः प्रोपेनाॅल होता है जो आइसोप्रोपिन अल्कोहल व इथेनाॅल का काॅम्बिनेशन होता है ना कि सिर्फ इथेनाॅल।
किस तरह से फेस मास्क आपको कोरोनावायरस से बचाता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि स्वस्थ लोग फेस मास्क पहनने की कोई जरूरत नही हैं। बल्कि, उनका सुझाव है कि कोरोनोवायरस वाले रोगी अपने चारों ओर दूसरों की रक्षा करने के लिए एक फेस मास्क पहने, या, यदि रोगी से आप कमरा शेयर कर रहे है जिसने मास्क नहीं पहना है, तो दूसरों को चाहिए कि वे उस दशा में मास्क पहने।
क्या सतह साफ करने में कीटाणुनाशक का इस्तेमाल भी किया जा सकता है
हा कीटाणुनाशक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लिखा है कि आप किटाणुनाशक का इस्तेमाल किसी भी जगह संक्रमित रोगी के संपर्क में आने वाले सतहों को साफ करने में किया जा सकता हैं, जैसे कि काउंटरर्स, टेबलटॉप, बाथरूम, शौचालय, फोन, कीबोर्ड, टैबलेट और टेबल आदि। उन्होने आगे स्पष्ट किया है कि इसमें घरेलू कीटाणुनाशकों को शामिल कर एक होममेड संस्करण बनाया जा सकता है, जिसके लिए चार चम्मच ब्लीच का एक एक लीटर पानी के घोल का उपयोग किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब आप सैनिटाइजर का छिड़काव करते हैं या सैनिटाइजिंग वाइप्स का इस्तेमाल करते हैं, तो घोल को पोंछने की बजाय सतह पर सूखने देना जरूरी है।
क्या चीन से आयात हुई वस्तुओ में भी हो सकता है कोरोना
इसकी संभावन बहुत कम है क्योंकि विश्व स्वास्थय संस्था ने कहा है। कोरोनावायरस आमतौर पर सतहों पर बहुत लंबे समय तक नहीं रहता हैं, जहा तक सामान या आयातीत वस्तुओं की बात हो तो उसे एक देश से दूसरे देश तक पहुचने में दिनों या हफ्तों लग जाते है वैसे भी अगर हमारे देश में कोई भी आयातीत वस्तु चीन से आयी होगी तो वो भी दो महीने पहले आयी होगी। इस प्रकार इसकी संभावना ना के बराबर है कि चीन से आयातित वस्तुओं का इस्तेमाल करने से वायरस के चपेट में आ सकते है
आज की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है भारत ने बहुत हद तक कोरोना संक्रमण को फैलने पर अंकुश लगाया है जो कि इस ग्राफ से भी समझा जा सकता है।
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