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Thursday, March 26, 2020

Difference Between Sec 144 IPC, Curfew and Lockdown

क्यों जरूरी था ये कदम-



नोवल कोरोना वायरस संक्रमण का मामला कितना गंभीर है इसे इस बात से भी समझ सकते है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जिन्होंनें कि पिछले 6 सालों में सिर्फ 6 बार ही देश को संबोधित किया  था, ने  पिछले एक हफ्ते मे ही उन्होने दूसरा संबोधन देश के नाम आया है। जिसके तहत उन्होनें 24 मार्च- 14 अप्रैल तक पूर्णतः लाॅकडाउन करवा दिया। जिसके पीछे उन्होनें यह तथ्य रखा कि देश को 21 साल पीछे ले जाने से अच्छा है कि देश में 21 दिनों का लाॅकडाउन लागू किया जाय। धारा 144, कफ्र्यू और लाॅकडाउन पढ़ने से पहले एक दावा आपके सामने रखना चाहता हूँ। जिसमें वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर लोगो ने सामाजिक दूरी बनाने का मामला गंभीरता से नही लिया या लापरवाही बरती तो मई 2020 तक संक्रमित लोगो का आंकडा 13 लाख के पार हो सकता है। जिसे कि हाल में आयी रिपोर्ट वयां भी कर रही है जिसमें कहा गया कि कोरोना का संक्रमण पहले एक लाख लोगों में पहुचने में 67 दिन लगे जबकि दूसरे एक लाख लोगों में यह संक्रमण मात्र 11 दिन में पहुंच गया।



आईपीसी की धारा 144, सीआरपीसी  CrPC(Code Of Criminal Procedure) को 1973 में अनलाॅफूल मामलों पर रोक लगाने के लिए पारित किया गया जिसे 25 जनवरी 1974 को लागू किया गया, जिसके तहत जिले के बड़े अधिकारियों जैसे डीएम, क्लेक्ट्रेटोंयह अधिकार मिलता है कि वह सरकार की ओर से जब उस क्षेत्र इंसानी जीवन को खतरा हो या कोई दंगे होने की आशंका हो, की स्थिति में शांति व्यवस्था बनाने या निषेध आज्ञा का पालन करवाने के लिए आदेश जारी करते है इसके अनुसार किसी क्षेत्र में चार या उससे ज्यादा लोगों को एक साथ एकत्र होने की इजाजत नहीं होती। जिसका मकसद उस क्षेत्र विशेष में प्रदर्शन करने से रोकना है। यह धारा कानून के उल्लघन होने की आशंका के पूर्व भी उस क्षेत्र में आरोपित किया जा सकता है, ताकि वहां भीड़ जमा न हो सके। इसके अंर्तगत क्षेत्रीय पुलिस को कई विवेकाधिकार भी प्राप्त है। स्थिति के और खराब होने पर या होने की आशंका में उस क्षेत्र विशेष की फोन, केबल, इंटरनेट आदि सेवाये भी बंद करने का प्रावधान इस धारा के अंर्तगत किया गया है। अभी तक देश में कई हिस्सों पर कई बार इस धारा का प्रयोग किया गया है। इसके विपरीत कफ्र्यू में ऐसा नहीं है। कफ्र्यू के अंर्तगत, धारा 144 से अधिक निषेध और प्रतिबंध है। धारा 144 को अधिकतम 2 महीनों के लिए लगाया जा सकता है यदि 2 महीने के बाद भी स्थिति नही सुधरी तो इसे बढ़ाकर 6 महीने तक किया जा सकता है जो कि इसका अधिकतम अवधि है। इसके तहत हिरासत मे लिये गये किसी भी व्यक्ति को दंगे मे शामिल होने के लिए मामले तक दर्ज किया जा सकता है जिसमे अधिकतम तीन साल की कैद की सजा का प्रावधान है।

Curfew  क्या है, और किस प्रकार यह धारा 144 से अलग है - 

Curfew Scene

कफ्र्यु एक फ्रांसिसी शब्द cuevrefeu,( means cover fire )है जिसका अर्थ आग को बुझाया है। कहा जाता है कि इस शब्द का प्रथम प्रयोग इग्लैंड में विलियम द कांकर्र द्वारा राजनीतिक दमन के लिए किया गया था। यद्यपि यह धारणा 16वीं शताब्दी से चल रही है, तथापि इसका कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है। आज मे समय की बात की जाय तो कफ्र्यू का मकसद भी वही है जो कि धारा 144 का। मगर ये लोगों को धारा 144 से व्यापक स्तर पर प्रतिबंधित करता है इसके दौरान इसमें आप अपने घरों से भी नहीं निकल सकते है, मार्केट, स्कूल, कॉलेज आदि सभी पब्लिक संस्थान बंद होते हैं। अगर किसी जरूरी काम से बाहर निकलना होगा तो आपको पुलिस से पहले अनुमति लेनी होगी। जैसे कि आजकल लगभग सभी जगहों पर खरीदारी करने का एक नियमित समय रखा है 7-10 बजे सुबह का। कफ्र्यू का आदेश सिर्फ जिला मैजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया जाता है। किसी सबआॅर्डिनेट द्वारा नही। उल्लंघन करने पर जुर्माना लग सकता है या फिर गिरफ्तार किया जा सकता है। मामला अति गंभीर होने की स्थिति में इसमे दोषी पर गोली चलाने तक का अधिकार होता है। जहां तक इसके अवधि है इसका भी समय और रीति उतनी ही है जितनी धारा 144 की।
ध्यान रखने वाली बाते-
कफर््यू के दौरान कोई भी व्यक्ति किसी सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बगैर भूख हड़ताल नहीं कर सकता है। इसके इंमपोज अवधि मे किसी भी प्रकार का घातक अस्त्र, आग्नेयास्त्र लेकर नहीं चल सकता है, और ना ही लाइसेंसी हथियार लेकर भी सरकारी ऑफिस में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। सिर्फ परीक्षा, विवाह, दाह-संस्कार और धार्मिक समारोह आदि उत्सवों पर यह लागू नहीं हो सकता है। मगर मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमे से भी कुछ को भी आंशिक प्रतिबंध किया जा सकता है।
लॉकडाउन

लॉकडाउन मतलब तालाबंदी है यह भी एक आपातकाल व्यवस्था जिसे स्थानीय प्रशासन द्वारा लगाई जाती है, जिसमें जरूरी सेवाओं की आपूर्ति सूचारू रखी जाती रहती है। मौजूदा समय मे कई देशों में लाॅकडाउन चल रहा है हमारे देश मे भी कई राज्यों और शहरों में लॉकडाउन किया गया है, लेकिन जरूरी सामानों जैसे बैंक, डेयरी, दवा, राशन, फल-सब्जी आदि की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने एक समय नियत किया गया है जिसे बीच ये सामानो की पूर्ती हो सके। लॉकडाउन में लोगों से घर में रहने की अपील की जाती है, उन्‍हें केवल आवश्यक चीजों के लिए ही बाहर निकलने की अनुमति होती है। स्थानिय प्रशासन स्वविवेक से तक करत है कि किस सेवा को आवश्यक सकझे और जारी रखे। लॉकडाउन में स्थानीय प्रशासन निजी संस्थानों को बंद करवा देता है और घर (वर्क फ्रॉम होम )से काम करने के आदेश जारी कारवायें जाते है। लॉकडाउन का उद्देश्य कुछ हद तक कफर््यू से अलग है इसमें लोगो को अपने घरों में ही रहनें आदेश जारि किया जाता है ताकि किसी तरह का संक्रमण नहीं फैले।
धारा 144, लॉकडाउन और कफ्र्यू एक साथ क्यों?
Roads during curfew

जैसे की उपर सभी भाग को समझाया गया है कि कैसे और कब धारा 144, कफर््यू और लाॅकडाउन एक दूसरे से भिन्न होकर भी समानता रखते है। भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से सरकार को ये तीनो को एक साथ लागू किया जा रहा है ताकि कोरोना वायरस संक्रमण को फैसले से सीमित या पूर्णतः रोका जाये। कफ्र्यू और लाॅकडाउन दोनो को सिर्फ जिला मजिस्ट्रेट द्वारा ही लागू किया जा सकता है जबकि धारा 144 सबआॅर्डिनेट द्वारा भी लागू करवाया जा सकता है धारा 144 में तहत 4 से ज्यादा लोग एकत्र नहीं हो सकते है जबकि कफ्र्यू के दौरान एक नियत समय को छोड़कर बिना आज्ञा के घर से भी बाहर नही निकल सकते।
इन सभी मामलो में अलग-अलग दंड प्रावधान, जो कि छः माह से 2 साल तक हो सकते है।जैसे  IPC188, IPC269, IPC270, IPC271


दोस्तो कृप्या अपना सुझाव जरूर दें। ताकि मैं अपना ज्ञान बढ़ा सकूं और ऐसे ही छोटे-छोटे डाॅउट दूर करता रहूँ।

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