खबरों में क्यों है तबलीगी जमात
कोरोना का कहर इस कदर बढ़ रहा है कि शायद ही इससे पहले दुनिया भर के देशों ने इतने लंबे समय तक अपने देश में लाॅकडाउन को लागू किया होगा, अगर किया भी होगा तो शायद इस दशा में नही कि जब दुनिया को आर्थिक मंदी का डर सता रहा है। जहां एक ओर सरकार द्वारा दिशा निर्देश जारी किये जा रहे है और सावधानी बरतने को कहा जा रहा है वही हाल ही मे दक्षिण दिल्ली का निजामुद्दीन दरगाह चर्चा का विषय बना हुआ है इस नाम ने देश के मीडिया हाउसों को जहां मसाला दिया है वही देशवासियों को, जो कि कोरोना-19 से अभी भी डरे हुए है, को और डराने का काम किया है। वैसे तो निजामुद्दीन दरगाह का निर्माण 1325 ई0 में तथा नवीनीकरण का कार्य 1562 ई0 में हुआ। यह दरगाह चिश्ती घराने के चौथे संत हजरत निजामुद्दीन चिश्ती की मौत के बाद उनकी याद में बनी थी। देश का हर तबका निजामुद्दीन दरगाह के बारे में जानता है या जानना चाहता है। मगर आज इस नाम को जानने या चर्चा होने का कारण कुछ और ही है। कुछ दिनों पहले यानी 10-13 मार्च को कुछ मुस्लिम धर्मगुरूओं की एक जमात जिसे तबलीगी जमात कहते है की यहा एक मरकज हुई जिसमें शामिल होने देश विदेश के सैकड़ो मुस्लिम अनुयायी आये हुए थे। मरकज में शामिल हुए लोग जब अपने-2 प्रदेशों में गये तो वे कोरोना-19 पाॅजिटिव पाये गये अर्थात वे कोरोना-19 से संक्रमित थे। सबसे पहले तेलांगाना के मुख्यमंत्री ने इस बात की जानकारी दी कि कुछ लोग जो कि मरकज से आये है, में कुछ की मौत कोरोना से संक्रमित होने से हुई है। जैसे ही खबर सोशल मीडिया में आयी तो आग की तरह फैल गयी। यहा कुछ शब्द ऐसे है जो न्यूज चैनलों की हर खबर में सुनाई दे रहे है जैसे तबलीगी, जमात, मरकज। मेरा यह लेख लिखने का मकसद भी यही तीन शब्द समझाना था, क्योंकि मुझे लगता है कि बाकी की खबर आये दिन अखबारों और न्यूज चैनलों के हर घंटे चल ही रही है चलिए देखते है कुछ तथ्य-क्या तबलीगी मुस्लिम की एक शाखा है ?
जैसा कि हम जानते है कि इस्लाम की कई शाखाएँ हैं और प्रमुख शाखाएँ सुन्नी, शिया, अहमदिया आदि है। ये सभी शाखाएं उनके धार्मिक व्यवहार, अल्लाह(भगवान) और अन्य चीजों में विश्वास व मानने के तरीकों में भिन्नता के आधार पर हैं।तब्लीग वास्तव में इस्लाम की शाखा नहीं है। इससे पहले तबलीगी को सूचना प्रसारण के रूप में जाना जाता था। जैसे मिशनरी ईसाईयो के लिए धर्म प्रसार का कार्य करते है वैसे ही तबलीगी को भी कुछ हद तक मुस्लिम मिशनरी कहा जा सकता है जिनका काम धर्म प्रचार करना है तबलीगी मुस्लिम पैगंबर मोहम्मद को एक आदमी के रूप में मानते है और जिनके बारे में वे कहते है कि पैगंबर मोहम्मद एक आदमी है जो भगवान का काम कर रहा थे क्योंकि वह इसके लिए चुने गये थे।
क्या है तबलीगी जमात
तबलीगी एक उर्दू शब्द है जिसका का मतलब है कि पैगम्बर, अल्लाह, कुरान और हदीस की बात दूसरों तक पहुंचाना, और जमात का मतलब समूह। यानी तबलीगी जमात का अर्थ यह है कि ऐसा समूह जो अल्लाह की बातों का प्रचार और प्रसार करता है। ऐसा माना जाता है कि जमात के दुनिया भर में करीब 15 करोड़ सदस्य हैं। मरकज के मतलब केन्द्र होता है। मरकज वह स्थान है जहां तबलीगी जमात की सिलसिले में बैठक होती है यहां तबलीगी जमात से जुड़े सदस्य पारंपरिक इस्लाम के विचार को आगे बढ़ाने का दावा करते हैं। जो कि हाल में निजामुद्दीन की दरगाह में हुई थी।तबलीगी जमात का इतिहास-
तबलीगी जमात की स्थापना हरियाणा के मेवात के नूंह जिले मे एक आंदोलन के रूप में वर्ष 1926 में मुहम्मद इलियास अल कांधलवी ने शुरू किया था। जबकि शुरूआती समय में इसकी बैठके छोटी होती थी इसकी पहली बड़ी बैठक इसकी स्थापना के 15 साल बाद 1941 हरियाणा मे हुई। जमात के मुख्य उद्देश्य इसके 6 उसूल जैसे सलात,इक्राम-ए-मुस्लिम,कलिमा, इल्म,दावत-ओ-तबलीग, इख्लास-ए-निय्यत हैं। एशिया में इनकी अच्छी खासी आबादी है। वर्तमान में दिल्ली के निजामुद्दीन में इस जमात का मुख्यालय है। 1947 में देश के बंटवारे से पहले तबलीगी जमात ने अलग अलग हिस्सों में जड़ जमा चुका था। धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरी दुनिया में फैल गया।काम कैसे करती है तबलीगी जमात -
तबलीगी जमात मुख्य मरकज से ही देश विदेश के अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकलती हैं। जो कि मुख्यतः तीन दिन, दस दिन, और 40 दिनो यहा तक की चार महीनों की जमाते भी निकलती है। और हर जमात मे कम से कम आठ से दस लोग शामिल होते है। जमात में शामिल लोग को भी अलग-अलग कार्य करने होते है हर जमात में दो-तीन लोग जो कि विशेषतःसेवा को काम के लिए नियोजित होते है जिन्हें कि खाना बनाना संचार आदि का कार्य करना होता है। जमात में शामिल अन्य लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और आसपास के मुस्लिम लोगों नजदीकी मस्जिद में पहुंचने और ईस्लाम की शिक्षा लेने के लिए कहते हैं। ये लोग करीब सुबह 10 बजे हदीस पढ़ते हैं, और मुस्लिम अनुयायियों को नमाज पढ़ने और रोजा रखने के लिये जोर देते है।कौन और कहां के लोग है तबलीगी जमात के अनुयायी
तब्लीगी जमात अधिकांश अनुयायी दक्षिण एशियाई मूल के हैं, हालांकि कई अलग-अलग जातीय और राष्ट्रीय पृष्ठभूमि से तबलीगी हैं। यह अनुमान है कि संगठन के दुनिया भर में 15 करोड़ अनुयायियों के बीच कहीं है, जो इसे दुनिया में सबसे बड़ा मुस्लिम आंदोलन बनाता है। वास्तव में, हज के बाहर, यह माना जाता है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत सहित देशों में इसकी वार्षिक बैठकें मुस्लिमों की सबसे बड़ी मंडलियों को एक साथ लाती हैं।
प्यू रिसर्च सेंटर (पीआरसी) जो कि एक गैर-अमेरिकी थिंक टैंक है, की एक रिपोर्ट के अनुसार,
इस संगठन का दायरा मुस्लिम आस्था को फैलाने तक सीमित है, समूह पर कई बार कट्टरपंथी संगठनों से संबंध रखने का आरोप लगाया गया है, जो कुछ पर्यवेक्षकों के अनुसार, इसके ढीले संगठनात्मक ढांचे का लाभ उठा सकते हैं। ।
दोस्तो उम्मीद करता हूँ कि जो भी मैने समझाने की कोशिश की है, मैं उसे आप लोगो को समझा पाया हूँ। आगे भी ऐसे तथ्यों को आप लोगो के सामने लाता रहूंगा। आप लोगो से गुजारिश है कि अपना सुझाव देते रहिए, ताकि मै कुछ अन्य तथ्य आपलोगो के सामने रख सकू। धन्यवाद
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