World Health Day special Theme 2020- Support Nurses And widwives
इस समय विश्व के करीब 200 से ज्यादा देश कोरोना-19 महामारी से जूझ रहे हैं देश और दुनिया को बचाने की जिम्मेदारी इस समय एक ऐसे खास विभाग के पास है जिसे भगवान का दूसरा रूप कहा गया है। आज जब कि 7 अप्रैल जिसे विश्व स्वास्थय दिवस के रूप में मनाया जाता है इसके बारे मे जानने का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। हर साल 7 अप्रैल की तारीख को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन साल 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना हुई थी और इस दिवस की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ही साल 1950 में की गई थी।विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2020 नर्सेस पर आधारित है। जिसमे समूचे विश्व में नर्सेस की स्थिति को हाईलाइट किया जाएगा।
वर्ष 2020 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की थीम है-सपोर्ट नर्सेस एवं मिडवाइव्स।
1945 ई0 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद आज तक इसके 16 विभिन्न अंग है जिसमें से एक विश्व स्वास्थ्य संगठन है, जिसका प्रमुख उद्देश्य विश्व भर के लोगो के स्वास्थ्य में प्रोन्नति लाना तथा इस वावत काम करना है। यह विश्व का स्वास्थ्य सम्बंधी अग्रणी संगठन है। इसकी नीतियों, कार्यक्रमों तथा प्रयासों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जन स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों के परिणामस्वरूप विश्व स्वास्थ्य स्तर में अत्यधिक सुधार आया है। इस संगठन में स्वास्थ्य के विस्तृत क्षेत्र के अंतर्गत गरीबी, रंग- भेद तथा पर्यावरण की गुणवत्ता आदि मुद्दे भी आते हैं, जो समय समय पर अनेक प्रकार के विवादों से भी घिरे देखे जाते हैं।
संगठन तथा इतिहास
वर्ष 1945 में सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के गठन के समय ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्माण की कल्पना कर ली गई थी। इस वर्ष तीन भौतिकविद ब्राजील के गेराल्डो सोयुज चीन की डॉ. जे0 जेमंग तथा नॉर्वे के कार्ल एवंग तथा द्वारा समस्त विश्व की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक प्रमुख तथा केंद्रीय स्वास्थ्य संगठन की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया था। इस प्रस्ताव के आधार पर ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ की स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई थी और इसकी पहली बैठक 24 जुलाई 1948 को हुई थी। डब्ल्यूएचओ की स्थापना के समय इसके संविधान पर विश्व के 61 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्जरलैण्ड में स्थित है, तथा इसके 6 क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं, जो हरारे (अफ्रीका), कोपेनहेगेन (यूरोप), नई दिल्ली (दक्षिण पूर्वी एशिया), वाशिंगटन डी सी (अमेरिका), कायरो (पूर्वी मेडिटेरेनियन) तथा मनीला (पश्चिमी पैसिफिक) क्षेत्रों में स्थित हैं।इसका प्रशासन विश्व स्वास्थ्य सभा के सदस्यों की देख रेख में किया जाता है। यह सभी 192 सदस्य राष्ट्रों द्वारा भेजे गए प्रतिनिधि ही होते हैं। विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा एक कार्यपालक दल का चुनाव किया जाता है, जिस दल में से ही एक व्यक्ति को संगठन के निदेशक के रूप में मनोनीत किया जाता है तथा सभा द्वारा उसका चुनाव अंतिम रूप से किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक का कार्य-काल कुल पांच वर्ष का होता है।
वर्ष 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वास्तविक प्राथमिकताओं में मलेरिया, मातृ तथा शिशु स्वास्थ्य, ट्यूबरक्लोसिस, यौन रोग, पोषण तथा पर्यावरणीय स्वच्छता इत्यादि विषय सम्मिलित थे। इसके अलावा कुछ अतिरिक्त विषय जो संज्ञान में लिए गए थे, वे थे जन स्वास्थ्य कल्याण प्रशासन, परजैविक तथा विषाणुजनित बीमारियां, तथा मानसिक स्वास्थ्य।
21वीं शताब्दी के प्रारम्भ में, विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमेरजेंसी टीम, जिसमे कि कुशल डॉक्टरों को शामिल किया गया होता है, को किसी नई संक्रमणशील बीमारी, जैसे कि श्वसन संबंधी रोग, फ्लू इत्यदि वाले क्षेत्र में उपचार हेतु भेजा गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन अपने सदस्य राष्ट्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तथा केंद्रों आदि का निर्माण भी करवाता है।
WHO के कार्यक्रम
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निम्नलिखित कार्यक्रमों के माध्यम से स्वास्थ्य सुधार तथा पोषण स्तर में वृद्धि का प्रयास किया गया।- भोजन, खाद्य- सुरक्षा एवं पोषण।
- स्वास्थ्य- शिक्षा।
- टीकाकरण।
- स्वच्छ जल एवं आधारभूत स्वच्छता।
- अनिवार्य दवाओं की उपलब्धता
- स्थानीय रोगों की रोकथाम तथा उपचार इत्यादि।
जिम्मेदारी एवं कार्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन की जिम्मेदारियों तथा कार्य के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ करने में सरकारों की सहायता करना, प्रशासन तथा तकनीकी सुविधाओं को स्थापित एवं नियमित रूप से संचालित करना जैसे कि महामारी विज्ञान तथा सांख्यिकी विज्ञान के आंकड़ें तैयार करना, बीमारियों के पूरी तरह से खात्मे में सहायता करना, पोषण, स्वच्छता, कार्य परिस्थितियां आदि में सुधार करना।इसके अलावा पर्यावरणीय स्वच्छता में सुधार करना, वैज्ञानिक तथा कुशल व्यक्ति समूहों के मध्य सहयोग स्थापित करवाना, स्वास्थ्य सुधार से सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों तथा समझौतों को प्रस्तावित करना, शोध- अनुसन्धान करना, भोजन तथा फार्मास्यूटिकल उत्पाद सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय मानकों का निर्धारण करना तथा स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में लोगों को सूचित करना तथा जागरूक बनाना भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के कुछ अहम कार्य हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्य तीन विभिन्न तत्वों के द्वारा किये जाते हैं, जो हैंरू विश्व स्वास्थ्य सभा, कार्यपालक बोर्ड तथा सचिवालय। जिनमे से विश्व स्वास्थ्य सभा सबसे प्रमुख है, तथा प्रतिवर्ष अपने सभी सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधियों के मध्य एक सम्मलेन का आयोजन करती है।
वास्तव में, विश्व स्वास्थ्य संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी संगठन है जो कि विश्व की स्वास्थ्य परिस्थितियों पर अपनी पैनी नजर रखती है, तथा विभिन्न राष्ट्रों के स्वास्थ्य स्तर को ऊपर लेन के लिए प्रयास करती है, जिससे कि समस्त विश्व समुदाय की स्वास्थ्य दशाओं को बेहतर किया जा सके।
उपलब्धियां तथा बाधाएं
21वीं शताब्दी में आर्थिक विकास के होड में जैसे-जैसे औद्योगिकरण पर जोर दिया जा रहा है वैसे-वैसे पर्यावरण दूषित होता जा रहा है जिसका सीधा असर इंसान के स्वास्थ्य पर पढ रहा है। ऐसे समय में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आधारभूत तथा केंद्रीय भूमिका निभाई जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अपनाई गई नीतियां तथा सदस्य राष्ट्रों में तकनीकी सहयोग आदि की मदद से यह सुधार मुमकिन हो सका। कि जहां वर्ष 1950 की जीवन प्रत्याशा 48 से बढ़कर वर्ष 1995 तक आते आते 69 वर्ष तक पहुंच गई। इसी दौरान शिशु मृत्यु दर प्रति हजार में 148 से घटकर 59 पर पहुँच गई। सबसे अधिक जनसंख्या वाले राष्ट्रों में जनसंख्या वृद्धि दर आश्चर्यजनक रूप से कम हुई। आज चेचेक, पोलियो बीमारी भी अपने खात्मे की कगार पर पहुँच चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आयोडीन युक्त नमक के प्रयोग की पहल द्वारा आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों को दूर किया गया, जो कि बच्चों की दृष्टि तथा मस्तिष्क में होने वाली अनेक प्रकार की बीमारियों का प्रमुख कारण था। अभी भी, विश्व के अनेक राष्ट्रों में गरीबी फैली हुई है। राष्ट्रों में स्वास्थ्य तथा धन के मध्य विषमता बढ़ती ही जा रही है। 10 करोड़ से भी अधिक लोग आज भी आधुनिक चिकित्सकीय विज्ञान के प्रभावों तथा लाभों से वंचित हैं। विश्व में प्रति पांच में से एक व्यक्ति के पास उचित स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था नही है। अधिकांशतः विकासशील राष्ट्रों में, संक्रामक बीमारी की चपेट में आकर 1.30 करोड़ लोगों की मृत्यु हो जाती है। विश्व में 70 प्रतिशत महिलाएं गरीबी से जूझ रही हैं। विश्व के सबसे गरीब राष्ट्र में एक बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री के मरने की सम्भावना किसी सम्पन्न राष्ट्र में जन्म देती स्त्री के स्वास्थ्य की तुलना में 500 गुना अधिक होती है।वर्ष 1978 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से एल्मा- एटा में प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा पर एक ऐतिहासिक सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमे अंतर्राष्ट्रीय विकास समुदाय द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा को वर्ष 2000 तक ‘सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य’ को प्राप्त करने की कुंजी के रूप में स्वीकार किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी स्थापना काल से अबतक स्मॉल चिकेन पॉक्स जैसी बीमारी को खत्म करने में बड़ी जिम्मेदारी निभाई है। भारत सरकार ने भी पोलियो जैसी महामारी को खत्म किया गया है। फिलहाल डब्ल्यूएचओ टीबी, एचआईवी, एड्स और इबोला जैसी जानलेवा बीमारियों की रोकथाम के लिए काम कर रहा है और वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण करने के लिए कई देशों की सरकारों के साथ मिलकर विश्व स्वास्थ्य संगठन काम कर रहा है।
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